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Himachal : एम्स से रेफर मरीजों का बिलासपुर से ही दिल्ली के लिए होगा स्लॉट बुक

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Himachal : एम्स से रेफर मरीजों का बिलासपुर से ही दिल्ली के लिए होगा स्लॉट बुक

पोल खोल न्यूज़ | बिलासपुर

बिलासपुर एम्स ने मेडिकल, सर्जिकल गेस्ट्रो और कार्डियोथोरेसिक सर्जरी के मरीजों के लिए विशेष प्रोग्राम की शुरुआत की है। यह पहल उन मरीजों के लिए राहत है, जिन्हें पहले इन बीमारियों के लिए लंबी दूरी तय कर दिल्ली एम्स इलाज के लिए जाना पड़ता है। अब उन्हें इसके लिए वहां पर जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी।

एम्स बिलासपुर में फिलहाल इन विशेष सुविधाओं का सीधा संचालन नहीं है। ऐसे में अब यदि कोई मरीज इन बीमारियों से संबंधित जांच या इलाज के लिए बिलासपुर एम्स आता है, तो उसे सबसे पहले मेडिसिन विभाग में दिखाया जाएगा। डॉक्टर की प्रारंभिक जांच के बाद यदि स्थिति सामान्य पाई जाती है और उच्च संस्थान में जाने की जरूरत नहीं होती है, तो मरीज को आगे रेफर नहीं किया जाएगा। हालांकि, यदि डॉक्टर जांच में यह पाते हैं कि मरीज को किसी विशेष उपचार या जांच के लिए उच्च संस्थान, जैसे एम्स नई दिल्ली भेजना आवश्यक है, तो उसे सीधे पंजीकरण काउंटर पर भेजा जाएगा। काउंटर पर मरीज को यह बताना होगा कि उसे विशेष पंजीकरण के लिए रेफर किया गया है। इसके बाद सॉफ्टवेयर के माध्यम से मरीज का पंजीकरण एम्स नई दिल्ली में किया जाएगा और वहां उसके लिए ओपीडी स्लॉट सुनिश्चित किया जाएगा।

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दिल्ली एम्स पहुंचने पर मरीज का प्राथमिकता से इलाज किया जाएगा। इसके लिए उसे वहां पर कोई भी औपचारिकता पूरी नहीं करनी पड़ेगी। इस नए प्रोग्राम के तहत मरीज को नई दिल्ली जाकर पंजीकरण कराने में परेशानी नहीं होगी। वहां आसानी से जांच कराई जा सकेगी। एम्स दिल्ली के विश्राम सदन में जगह उपलब्ध होगी तो रहने की व्यवस्था भी की जाएगी। एम्स बिलासपुर प्रशासन का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य मरीजों के समय और अन्य कठिनाइयों को कम करना, उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं तक उनकी पहुंच को आसान बनाना है। इस नई व्यवस्था से मरीजों को पहले की तुलना में काफी सुविधा होगी और इलाज की प्रक्रिया तेज और आसान होगी।

वहीं, जेपी नड्डा ने कहा कि देश में अब 808 मेडिकल कॉलेज हैं। वार्षिक यूजी मेडिकल सीटों की संख्या करीब 35,000 से बढ़कर 1.25 लाख हो गई है। पिछली कैबिनेट में प्रधानमंत्री ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पांच हजार नई यूजी और पीजी सीटों को मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि अगले पांच साल में सरकारी चिकित्सा संस्थानों में 75 हजार अतिरिक्त मेडिकल सीटें होंगी। उन्होंने बताया कि एक सीट पर सरकार करीब डेढ़ करोड़ रुपये खर्च करती है।

 

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