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नाहन : 45 साल बाद लौट आया लापता बेटा: एक हादसे ने छीन ली यादें, दूसरे ने वापस दिला दी पहचान
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हिमाचल के रिखी राम की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं
पोल खोल न्यूज । नाहन
45 साल बाद घर लौटा बेटा… गांव में खुशियों की लौट आई बहार
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के सतौन क्षेत्र का नाड़ी गांव इन दिनों उत्सव सा माहौल लिए हुए है। वजह भी खास है—गांव का बेटा रिखी राम, जो वर्ष 1980 में मात्र 16 वर्ष की उम्र में लापता हो गया था, 45 लंबे वर्षों के बाद अपने घर लौट आया है। उसकी वापसी की कहानी इतनी अविश्वसनीय और भावुक है कि किसी फिल्मी कहानी को भी पीछे छोड़ दे।
एक हादसे ने सब कुछ बदल दिया
साल 1980 में रिखी राम काम की तलाश में यमुनानगर गया था, जहां वह एक होटल में काम करने लगा। लेकिन किस्मत ने ऐसा मोड़ लिया कि एक दिन अंबाला जाते समय उसका भीषण सड़क हादसा हो गया। सिर में गंभीर चोट लगी और उसकी याददाश्त पूरी तरह खो गई।
होटल के साथियों ने उसकी पहचान छिपाने के लिए उसका नया नाम ‘रवि चौधरी’ रख दिया। इसके बाद उसकी जिंदगी उसे मुंबई के दादर और फिर नांदेड़ ले गई, जहां एक कॉलेज में नौकरी मिली, शादी हुई और तीन बच्चे हुए। नई जिंदगी में सब कुछ था, बस अतीत से जुड़ी कोई याद बाकी नहीं थी।

दूसरा हादसा और यादों की वापसी
कई दशक बाद किस्मत ने उसे एक और मोड़ पर ला खड़ा किया। कुछ महीने पहले हुए एक और सड़क हादसे के बाद उसकी पुरानी यादें धीरे-धीरे लौटने लगीं।
सपनों में आम का पेड़, गांव के झूले, सतौन का इलाका, पहाड़ी रास्ते… सब उभरने लगे। शुरुआत में उसने इन दृश्यों को नजरअंदाज किया, लेकिन जब ये सपने लगातार आने लगे तो उसने पत्नी को बताया और अपनी जड़ों की तलाश शुरू कर दी।
कैफे से होते हुए गांव तक पहुँची कड़ी
कम पढ़ा-लिखा होने के कारण उसने कॉलेज के एक छात्र से इंटरनेट पर मदद ली। खोजबीन के दौरान सतौन क्षेत्र के एक कैफे का नंबर मिला। कैफे संचालक ने उसे नाड़ी गांव के रुद्र प्रकाश से जोड़ दिया।
शुरुआत में रुद्र को शक हुआ कि कहीं ये कोई धोखाधड़ी न हो, पर जब रिखी राम रोजाना बात कर अपने भाई-बहनों, बचपन और गांव की छोटी-छोटी बातें बताने लगा, तो संदेह धीरे-धीरे यकीन में बदल गया।
45 साल बाद जब रिखी राम घर पहुँचा…

आखिर वह दिन आया जब रिखी राम अपने गांव, अपने घर, अपने परिवार के सामने खड़ा था। 45 साल बाद लौटे बेटे को देख परिवार के आंसू नहीं थम रहे थे। गांव के लोग भी भावुक हो उठे—किसी ने सोचा भी नहीं था कि दशकों पहले खोया रिखी राम एक दिन इस तरह लौट आएगा।
फिल्मी और भावुक—दोनों है यह कहानी
रिखी राम की कहानी इस बात का उदाहरण है कि किस्मत कब किस मोड़ पर किससे क्या छीन ले और कब दोबारा लौटा दे, कोई नहीं जानता।
एक हादसे ने उसे परिवार से दूर किया, दूसरे हादसे ने परिवार तक वापस पहुंचा दिया।45 साल बाद जड़ों से जुड़ने का यह सफर इंसानी रिश्तों की गर्माहट और उम्मीद की ताकत का जीता-जागता प्रमाण है।
याददाश्त खोने के बाद नई पहचान के साथ जिया 45 साल, सपनों में लौटे बचपन के दृश्य बने घर वापसी का रास्ता
इंफो बॉक्स: रिखी राम की 45 साल की फिल्मी कहानी
गांव:
नाड़ी, सतौन क्षेत्र, जिला सिरमौर (हिमाचल प्रदेश)
लापता होने का साल:
1980 — उम्र मात्र 16 वर्ष
पहला हादसा:
अंबाला जाते समय भीषण सड़क दुर्घटना, सिर में चोट
याददाश्त पूरी तरह खो गई
साथियों ने नया नाम दिया — ‘रवि चौधरी’
नई जिंदगी:
- मुंबई के दादर में रहना
- बाद में नांदेड़ में कॉलेज की नौकरी
- शादी (1994)
- दो बेटियां व एक बेटा
दूसरा हादसा:
कुछ महीने पहले फिर एक दुर्घटना
पुरानी यादें लौटने लगीं
सपनों में गांव, पेड़, रास्ते, झूले दिखाई देने लगे
घर तक पहुंचने की कड़ी:
- एक छात्र की मदद से इंटरनेट पर खोज
- सतौन के कैफे से संपर्क
- वहां से नाड़ी गांव के रुद्र प्रकाश तक बात
- लगातार बातचीत से पहचान की पुष्टि
45 साल बाद घर वापसी:
परिवार और गांव में खुशी की लहर, रिश्तों की भावुक पुनर्मिलन कथा


Author: Polkhol News Himachal









