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हिमाचल प्रदेश: जवाब दाखिल नहीं करने पर राज्य सरकार को 20 हजार जुर्माना

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हिमाचल प्रदेश: जवाब दाखिल नहीं करने पर राज्य सरकार को 20 हजार जुर्माना

पोल खोल न्यूज़ | शिमला

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में प्रतिवादी राज्य सरकार को लगभग चार साल तक जवाब दाखिल न करने पर कड़ी फटकार लगाते हुए 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने कहा कि मामले में नोटिस जारी होने के बाद लगभग चार साल बीत चुके हैं। बता दें कि याचिका पहली बार 1 दिसंबर 2021 को सूचीबद्ध की गई थी, लेकिन आज तक प्रतिवादियों की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है।

वहीं, अदालत ने 10 हजार की राशि मुख्य न्यायाधीश आपदा राहत कोष और 10 हजार की राशि याचिकाकर्ता को देने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह लागत उस अधिकारी के वेतन से वसूल की जाएगी जो जवाब दाखिल करने में देरी के लिए जिम्मेदार है। मामले की अगली सुनवाई अब 22 दिसंबर को होगी। कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी-विभाग की ओर से लगभग चार वर्षों तक जवाब दाखिल न किया जाना स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि प्रतिवादियों को न्यायालय के आदेशों का कोई सम्मान नहीं है। हालांकि, अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि 1 दिसंबर 2021 के बाद मामला कभी कोर्ट के सामने सूचीबद्ध नहीं हुआ। अदालत ने प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का और समय दिया।

उधर, 2,500 करोड़ रुपये की क्रिप्टो करंसी धोखाधड़ी की सुनवाई के दौरान आरोपी मिलन गर्ग को अदालत में पेश न करने पर शिमला की विशेष अदालत ने मध्य प्रदेश जेल प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है। वहीं, कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि बार-बार आदेश देने के बाद भी आरोपी को पेश न करना गंभीर लापरवाही है। यूपी के मेरठ निवासी मिलन गर्ग को जिला जेल छिंदवाड़ा से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत में पेश किया गया। पूर्व आदेशों के बावजूद उसकी शारीरिक पेशी नहीं हो सकी। स्पेशल जज दविंदर कुमार की अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए टिप्पणी की कि जेल प्रशासन जानबूझकर अदालत के आदेशों की अवहेलना कर रहा है।

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अब अदालत ने आरोपी के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी कर दिया है और निर्देश दिया कि 19 दिसंबर 2025 को सुबह 10 बजे हर हाल में आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाए, साथ ही आदेश की प्रतियां डीजीपी (जेल) मध्य प्रदेश, एसपी छिंदवाड़ा और जेल अधीक्षक को ईमेल से भेजने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं, अदालत ने इस लापरवाही की पूरी रिपोर्ट जिला एवं सत्र न्यायाधीश, छिंदवाड़ा को भेजने को भी कहा है। गौरतलब है कि जुलाई 2024 में हिमाचल पुलिस ने क्रिप्टो करंसी घोटाले के मास्टरमाइंडों में से एक मिलन गर्ग को कोलकाता एयरपोर्ट से उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वह बैंकॉक भागने की कोशिश कर रहा था। बाद में मार्च 2025 को छिंदवाड़ा जेल के उप-निरीक्षक प्रहलाद बैरागी उसे कैथू जेल से स्थानांतरित कर ले गए थे। फिलहाल, अदालत ने मुख्य आरोपी हेम राज, सुखदेव, अभिषेक शर्मा, मिलन गर्ग और विजय कुमार जुनेजा की न्यायिक हिरासत भी 19 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दी है। अदालत ने चेतावनी दी कि अगली तारीख पर सभी आरोपी अनिवार्य रूप से उपस्थित रहें।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में एचएलएल के माध्यम से वर्ष 2019 में आउटसोर्स पर रखे गए कम्युनिटी हेल्थ अफसरों को नेशनल हेल्थ मिशन में शामिल करने के मामले की अब 27 नवंबर को सुनवाई होगी। कोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता ने तर्क दिया है कि भले ही उन्हें एचएचएल की ओर से नियुक्त किया गया था, लेकिन उन्हें एनएचएम का कर्मचारी माना जाना चाहिए।

याचिकाकर्ताओं ने न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत से मांग की है कि उनकी अनुबंध सेवाओं को एनएचएम के तहत विलय कर दिया जाए। तर्क दिया गया है कि भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी निर्देशों, जिसमें एनएचएम के निदेशक ने 17 अगस्त 2020 को राज्य को कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स की आउटसोर्सिंग मॉडल को बंद करने और सीएचओ के अगले बैच की भर्ती एनएचएम अनुबंध की मौजूदा प्रक्रिया के तहत करने का निर्देश दिया था। लेकिन सरकार ने पहले और दूसरे बैच की सेवाओं को एनएचएम में लेने के बजाय ताजा नियुक्तियां की।

अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि नेशनल हेल्थ मिशन ने शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में अपग्रेड करने के लिए कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स को तैनात किया जाना था। इसके लिए नेशनल हेल्थ मिशन ने 18 दिसंबर 2018 को लाइफ केयर लिमिटेड (एचएचएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन किया। एमओयू के आधार पर एचएचएल ने 2019 को अनुबंध आधार पर सीएचओ के 264 रिक्त पदों के लिए विज्ञापन दिया। इसके बाद नवंबर 2019 में अनुबंध आधार पर 480 पदों को भरने के लिए एक और विज्ञापन जारी किया। उन्होंने अदालत को बताया कि लिमिटेड की ओर से दो भर्ती प्रक्रिया में कुल 674 को 3 साल की निश्चित अवधि के लिए अनुबंध आधार पर नियुक्त किया गया।

 

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