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मानसिक रूप से सशक्त किशोर ही चुनौतियों का सामना कर सकते हैं : शीतल वर्मा

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मानसिक रूप से सशक्त किशोर ही चुनौतियों का सामना कर सकते हैं : शीतल वर्मा

पोल खोल न्यूज़ | हमीरपुर

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला टौणी देवी में बाल विकास विभाग के सौजन्य से “किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व” विषय पर एक जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बड़ी उत्सुकता और रुचि के साथ सहभागिता की। सेमिनार का मुख्य उद्देश्य किशोरों को मानसिक स्वास्थ्य, संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली के महत्व से अवगत कराना था। कार्यक्रम में मनोवैज्ञानिक शीतल वर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए बताया कि किशोरावस्था जीवन का सबसे संवेदनशील और परिवर्तनशील चरण होता है, जिसमें शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक बदलाव बहुत तेजी से होते हैं। इस दौरान मानसिक संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह आत्मविश्वास, निर्णय क्षमता और एकाग्रता को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि मानसिक रूप से सशक्त व्यक्ति ही जीवन की चुनौतियों का सामना धैर्य, संयम और सकारात्मकता से कर सकता है। सेमिनार में यह संदेश दिया गया कि संतुलित आहार और अच्छी आदतें मानसिक मजबूती की नींव होती हैं।

छात्रों को बताया गया कि हरी सब्जियाँ, फल, दूध, दालें, अनाज और पर्याप्त पानी का सेवन शरीर और मस्तिष्क दोनों के विकास के लिए जरूरी है। जंक फूड, सॉफ्ट ड्रिंक्स और अत्यधिक स्क्रीन टाइम जैसी अस्वास्थ्यकर आदतों से दूरी बनाने की सलाह दी गई। साथ ही, नियमित व्यायाम, योग और ध्यान को जीवनशैली का हिस्सा बनाने पर भी बल दिया गया, जिससे तनाव में कमी और एकाग्रता में वृद्धि होती है। कार्यक्रम के दौरान यह भी बताया गया कि मानसिक स्वास्थ्य केवल मानसिक रोगों की अनुपस्थिति नहीं, बल्कि मन की स्थिरता, आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच का परिचायक है। हर किशोर को अपनी भावनाओं को पहचानना, व्यक्त करना और नियंत्रित करना सीखना चाहिए। परिवार और मित्रों के साथ खुला संवाद तथा आवश्यकता पड़ने पर सहायता मांगने से मानसिक सशक्तता बढ़ती है। इस अवसर पर बाल विकास परियोजना अधिकारी श्री कुलदीप चौहान ने बाल विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं जैसे पोषण अभियान, मिड-डे मील योजना, किशोरी शक्ति योजना और आंगनवाड़ी सेवाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य बच्चों के समग्र विकास के लिए उनके पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा तीनों क्षेत्रों को सशक्त बनाना है। उन्होंने अभिभावकों से इन योजनाओं का लाभ उठाने की अपील की ताकि बच्चे स्वस्थ और आत्मविश्वासी बन सकें।

 

कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य रजनीश रांगड़ा ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य एक-दूसरे के पूरक हैं। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है। उन्होंने विद्यार्थियों को आगामी परीक्षाओं के लिए गंभीरता से तैयारी करने, समय प्रबंधन अपनाने, पर्याप्त नींद लेने और सकारात्मक सोच बनाए रखने की प्रेरणा दी। प्रधानाचार्य ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता केवल एक दिन का विषय नहीं, बल्कि जीवनभर अपनाई जाने वाली जीवनशैली है। विद्यार्थियों ने इस अवसर पर स्वस्थ रहने, तनावमुक्त जीवन जीने और संतुलित आहार अपनाने का संकल्प लिया। विद्यालय प्रशासन और बाल विकास विभाग ने भविष्य में भी ऐसे प्रेरक और उपयोगी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का संकल्प व्यक्त किया।

 

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