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स्कूलों की सीबीएसई संबद्धता के लिए प्रिंसिपलों की तय होगी जवाबदेही

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स्कूलों की सीबीएसई संबद्धता के लिए प्रिंसिपलों की तय होगी जवाबदेही

पोल खोल न्यूज़ | शिमला

हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्कूलों की सीबीएसई संबद्धता प्रक्रिया को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब प्रदेश के चयनित सरकारी स्कूलों में संबद्धता से जुड़ा पूरा कार्य करना सीधे प्रिंसिपल या कार्यवाहक प्रिंसिपल की जिम्मेदारी होगी। वह इसे अधीनस्थ अधिकारी, कर्मचारी या किसी अन्य कार्यालय को नहीं सौंप सकेंगे। स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने कार्यालय आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि सीबीएसई संबद्धता से संबंधित सभी दस्तावेजों की तैयारी, आवेदन प्रक्रिया, निरीक्षण और विभागीय समन्वय का पूरा कार्य स्कूल प्रमुख की निगरानी में ही होगा।

 

प्रिंसिपल अपने नियंत्रण में आने वाले एक शिक्षक और एक क्लेरिकल स्टाफ की सीमित सहायता ले सकते हैं, लेकिन जिम्मेदारी पूरी तरह उन्हीं की रहेगी। उन्होंने चेताया कि यदि किसी भी स्तर पर आदेशों की अवहेलना की गई, तो संबंधित अधिकारी या प्रिंसिपल के खिलाफ शिक्षा सेवा नियमों के तहत सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय 22, 25 और 27 सितंबर को हुई उच्च स्तरीय बैठकों में लिया गया, जिनकी अध्यक्षता सचिव (शिक्षा) ने की थी। समीक्षा में यह पाया गया कि कुछ स्कूलों में संबद्धता कार्य अधीनस्थों को सौंपे जा रहे थे, जिससे प्रक्रिया में भ्रम और देरी हो रही थी। अब इस पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।

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हिमाचल प्रदेश के 100 चयनित सरकारी स्कूलों को सीबीएसई से संबद्ध करने की प्रक्रिया चल रही है। सत्र 2026-27 से इन स्कूलों में सीबीएसई का पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। साथ ही परीक्षा प्रणाली, मूल्यांकन पद्धति और शैक्षणिक ढांचा भी सीबीएसई मानकों के अनुरूप होगा। सरकार का उद्देश्य है कि हिमाचल के स्कूलों में शिक्षा का स्तर राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाया जाए। सीबीएसई संबद्धता से विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की बेहतर तैयारी का अवसर मिलेगा और स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता, अधोसंरचना व शिक्षण पद्धति में सुधार सुनिश्चित होगा।

शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि संबंधित स्कूलों के प्रिंसिपल इस आदेश का पालन करें। संबद्धता से जुड़ी सभी प्रगति रिपोर्टें प्रतिमाह विभाग को भेजी जाएं। कोहली ने कहा कि प्रिंसिपलों की जवाबदेही तय करना आवश्यक है, जिससे संबद्धता प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध हो सके। विभाग इस दिशा में शून्य-लापरवाही नीति पर काम कर रहा है।

 

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