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पंचायत चुनाव : रोस्टर से पहले ही सियासी बिसात बिछी, गांवों में बनने बिगड़ने लगे समीकरण , बोतलों का दौर भी शुरू

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पंचायत चुनाव : रोस्टर से पहले ही सियासी बिसात बिछी, गांवों में बनने बिगड़ने लगे समीकरण , बोतलों का दौर भी शुरू

रजनीश शर्मा। हमीरपुर

हिमाचल में पंचायतीराज चुनावों की आहट ने गांवों में राजनीतिक तापमान को अप्रत्याशित रूप से गर्म कर ते दिया है। पंचायत चुनावों की औपचारिक घोषणा से पहले ही संभावित आरक्षणों को लेकर चर्चाओं का ऐसा दौर चल पड़ा है, जिसने गांवों की फिजाओं में राजनीतिक सरगर्मी घोल दी है। कई संभावित उम्मीदवारों ने मतदाताओं की टोह लेना शुरू कर दी है और कई बात बनती न देख ठुस होकर बैठ भी गए हैं। वर्तमान पंचायत प्रधान अपने 5 साल का रिपोर्ट कार्ड लेकर ही जनता का सामना कर पाएंगे अन्यथा उन्हें विरोध का सामना करना पड़ेगा।

नवरात्र समाप्त , अब बोतल मुर्गे की डिमांड भी बढ़ी

टीयालों, चाय की दुकानों और खेत-खलिहानों से लेकर सोशल मीडिया तक हर ओर एक ही चर्चा है सीट ओपन होगी या रिजर्व ? और इस बार किसका नाम चलेगा? वहीं। नवरात्र समाप्त होने पर पंचायत चुनावों की चर्चाओं के बीच बोतल मुर्गे की डिमांड भी बढ़ने लगी है। संभावित उम्मीदवारों को अपने समर्थकों को एक जुट रखने के लिए अपनी जेब भी ढीली करनी पड़ रही है नहीं तो सुबह का साथी शाम होते होते दूसरे कैंप में खिसकते नजर आने लग पड़ेंगे।

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रोस्टर करेगा कई संबंधित उम्मीदवारों को ‘रोस्ट’

हालांकि, रोस्टर अभी तक जारी नहीं हुआ है, लेकिन चर्चाओं की रफ्तार किसी तूफान से कम नहीं। कोई कह रहा है कि रोस्टर जारी हो चुका है, तो कोई उसे अभी ‘अंदरूनी सूचना’ बता रहा है। वहीं, कुछ लोग इस भ्रम का फायदा उठाकर सोशल मीडिया के जरिए अपनी बातों को भी पहुंचाना शुरू कर चुके हैं। वहीं रोस्टर आते ही कई संभावित उम्मीदवारों के अरमान भी रोस्ट हो जाएंगे।

पंचायतों , जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों में युवाओं की दस्तक

वहीं सबसे ज्यादा ग्राम पंचायत प्रधान, उप प्रधान , बीडीसी मेंबर और जिला परिषद सदस्य की सीट को लेकर चर्चाएं चरम पर हैं। कौन सी सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होगी , कौन सी ओपन होगी और कौन सी महिला के लिए आरक्षित होगी , यह सब अनुमानों पर ही चर्चाएं गर्म है। इस बार कई नई और उभरती हुई दावेदारियां सामने आ सकती है। वहीं अगर सीट ओपन है तो तो युवाओं को एक नया मंच मिलेगा। इस बार का पंचायत चुनाव महज अनुभव आधारित नहीं, बल्कि युवाओं की भागीदारी व विजन पर भी आधारित होता दिख रहा है। युवाओं में अभूतपूर्व जोश है, जो इसे केवल चुनाव नहीं, बल्कि अपना भविष्य गढ़ने का अवसर मान रहे हैं। हालांकि, चुनावी रोस्टर अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन राजनीतिक बिसात पहले ही बिछनी शुरू हो चुकी है। कौन किस गुट में जाएगा, किसे सामाजिक व जातिगत समीकरणों का समर्थन मिलेगा। इन सवालों के जवाब रोस्टर आने के साथ ही सामने आने लगेंगे। कुछ लोग सोशल मीडिया या व्यक्तिगत स्तर पर चुनाव प्रचार में भी जुट गए है और आकर्षक नारों का सहारा ले रहे हैं।

लोकतंत्र की नई परिभाषा

2025 का पंचायत चुनाव महज एक प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि जनभागीदारी, युवा नेतृत्व और स्थानीय विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह चुनाव गांव-गांव में लोकतांत्रिक चेतना का उत्सव बनकर सामने आ रहा है, जिसमें हर मतदाता की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी। रोस्टर की घोषणा किसी भूचाल से कम नहीं होगी। यह तय करेगा कि किसे चुनावी मैदान में उतरने का अवसर मिलेगा और किसे अबकी बार अपनी दावेदारी रोकनी पड़ेगी। सभी की निगाहें अब उस दिन पर टिकी हैं, जब आधिकारिक रूप से आरक्षण सूची जारी होगी, तब तक के लिए गांवों में कयासों का दौर, बैठकों की बहस और सोशल मीडिया की हलचल जारी है।

 

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