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हिमाचल प्रदेश: दुकानदार ने चप्पलों की खरीद पर कैरी बैग के काटे 6 रुपये, अब शुल्क समेत देने होंगे आठ हजार रुपये

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हिमाचल प्रदेश: दुकानदार ने चप्पलों की खरीद पर कैरी बैग के काटे 6 रुपये, अब शुल्क समेत देने होंगे आठ हजार रुपये

पोल खोले न्यूज़ |  शिमला

दुकानदार ग्राहकों से कैरी बैग के लिए अलग से शुल्क नहीं वसूल सकते। उपभोक्ता आयोग ने ऐसे ही एक मामले में शोरूम मालिक को 6 रुपये वापस करने के साथ मानसिक उत्पीड़न के 5,000 रुपये और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 3,000 रुपये 45 दिन के भीतर अदा करने के आदेश दिए हैं

ये भी बता दे की उपभोक्ता आयोग ने एक अहम फैसले में कहा कि दुकानदार ग्राहकों से कैरी बैग के लिए अलग से शुल्क नहीं वसूल सकते। प्रीति सूद से चप्पल की खरीद पर 6 रुपये अतिरिक्त बैग शुल्क लेने को आयोग ने अनुचित व्यापार व्यवहार माना। आयोग ने शो रूम मालिक को 6 रुपये वापस करने के साथ मानसिक उत्पीड़न के 5,000 रुपये और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 3,000 रुपये 45 दिन के भीतर अदा करने के आदेश दिए हैं।

 

दरअसल 21 जनवरी 2024 को महिला लोअर बाजार स्थित बाटा शूज स्टोर की दुकान पर दो जोड़ी चप्पलें खरीदने गईं। प्रीति सूद ने 249.50 रुपये प्रति जोड़ी की हिसाब से चप्पलें खरीदीं। इसका 505 रुपये बिल बना जबकि चप्पलों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के अनुसार बिल की राशि 499 होनी चाहिए थी। महिला को बिल देखकर प्रबंधक से पूछा कि 6 रुपस क्यों लिए गए हैं, तो प्रबंधक ने बताया कि पेपर कैरी बैग के लिए है

महिला को दिए गए कैरी बैग पर बाटा इंडिया लिमिटेड प्रिंट था जबकि इस बैग का असली निर्माता एयूएम पॉलीप्रिंट प्राइवेट लिमिटेड है दलील दी कि बाटा शूज स्टोर कैरी बैग का निर्माता नहीं है और न ही महिला का इसे कभी खरीदने का इरादा था। आरोप लगे है कि बाटा शूज स्टोर बड़ी चालाकी से ग्राहकों को कैरी बैग का शुल्क लेकर और अपने विज्ञापनों के लिए इसका इस्तेमाल करके बेवकूफ बना रहा है। इसलिए आयोग के समक्ष यह शिकायत दायर की गई।

4 सितंबर 2025 के आदेश में एकपक्षीय कार्यवाही की गई। जिला आयोग के अध्यक्ष डॉ. बलदेव सिंह ने माना कि विपक्षी पक्ष का यह कर्तव्य था कि वह शिकायतकर्ता को निशुल्क कैरी बैग या पेपर बैग उपलब्ध करवाए। कैरी बैग निश्चित रूप से विपक्षी पक्ष की ओर से बिक्री का अभिन्न अंग है और कैरी बैग के लिए 6 रुपये अतिरिक्त वसूलने का कोई कानूनी या नैतिक अधिकार नहीं था।

शहर में कई शोरूम हजारों रुपये की खरीद के बाद कैरी बैग के पैसे वसूलते है। कोई व्यक्ति छोटी-मोटी चीजें खरीदने के लिए रेहड़ी-पटरी वालों के पास भी जाता है, तो रेहड़ी-पटरी वाले या फेरीवाले सामान के साथ कैरी बैग देते हैं या सामान को अखबार में लपेटकर देते हैं। लेकिन बड़े बड़े शोरूम में लोगों से कैरी बैग के पैसे वसूले जा रहे हैं। किसी से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह खरीदा हुआ सामान अपने हाथों में ले लें। ग्राहकों को दुकान परिसर में अपने कैरी बैग लाने की अनुमति न देकर और अपने कैरी बैग को प्रतिफल के रूप में थोपकर सेवा प्रदान करने में कमी मानी जाती है।

 

 

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