

Himachal Pradesh: जमीन की सेटलमेंट के लिए केरल का मॉडल अपनाएगा हिमाचल
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
हिमाचल प्रदेश सरकार जमीन की सेटलमेंट के लिए केरल का सेटेलाइट मॉडल अपनाएगी। केरल सरकार ने लोगों की जमीन की सीमा तय करने के लिए इस तकनीक को अपनाया है। सरकार इस मॉडल का अध्ययन कर रही है। बता दें कि हिमाचल में अभी जमीन की पैमाइश के लिए जरेब का इस्तेमाल होता था। राजस्व विभाग की ओर से जमीन की सेटलमेंट 40 साल बाद की जाती है। इसका रिकॉर्ड बनाने में ही 5 से 7 साल लगते हैं। ऐसे में सरकार ने रोवर मशीन से ही जमीन की सेटलमेंट करवाने का फैसला लिया है।
हालांकि, सिरमौर में सेटेलाइट से सेटलमेंट करने की पहल की गई थी, लेकिन योजना सिरे नहीं चढ़ पाई है। जरेब से लोगों में झगड़े होने की अधिक संभावनाएं रहती हैं। राजस्व विभाग के अधिकारी सेटलमेंट करने के बाद लोगों के झगड़े सुलझाने में ही लगे रहते हैं। ऐसे में सरकार इस मॉडल को अपनाने जा रही है। इसे लेकर प्रदेश सरकार मनाली में एक काॅन्क्लेव करवाने जा रही है। इसमें केरल, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू और अन्य राज्यों के राजस्व अधिकारियों को बुलाया जा रहा है।
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यह काॅन्क्लेव अक्तूबर या नवंबर में होगा। राजस्व विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक रोवर मशीन जमीन के चारों कोनों पर सर्वेक्षक रिफ्लेक्टर रॉड रखेगा। मशीन को स्टैंड पर रखकर रिफ्लेक्टर रॉड सिग्नल प्राप्त करेगी। रिफ्लेक्टर रॉड को घुमाकर, सिग्नल प्राप्त कर मशीन जमीन का एक डिजिटल नक्शा (मैप) तैयार करती है। शहर और गांव का नाम और खसरा नंबर जैसी जानकारी रोवर मशीन में दर्ज की जाती है। जमीन के सीमांकन (यानी उसकी सीमा को चिन्हित करने) की पूरी पहचान मशीन में दर्ज हो जाती है।
बता दें कि रोबर डिजिटल प्रक्रिया है। इससे मापे गए भूखंड की पहचान और उसके सीमांकन की जानकारी बहुत सटीक और विश्वसनीय होती है। अभी जमीन की पैमाइश के लिए जरेब का इस्तेमाल होता है। रोवर मशीन के आने से प्रक्रिया डिजिटल और आसान हो गई है।

पहाड़ी राज्यों के राजस्व अधिकारी जुटेंगे हिमाचल में : नेगी
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि हिमाचल में रोवर मशीन से जमीन की सेटलमेंट होगा। इसको लेकर मनाली में एक काॅन्क्लेव करवाया जाएगा। इसमें हिमाचल सहित अन्य राज्यों के राजस्व विभाग के अधिकारी जुटेंगे। अक्तूबर या नवंबर के पहले हफ्ते में यह हो सकता है।
Author: Polkhol News Himachal









