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एनएच-03 पर पीक्यूसी तकनीक का प्रयोग : पानी से नहीं टूटेगी सड़क, दशकों तक टिकेगी गुणवत्ता

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एनएच-03 पर पीक्यूसी तकनीक का प्रयोग : पानी से नहीं टूटेगी सड़क, दशकों तक टिकेगी गुणवत्ता

रजनीश शर्मा। हमीरपुर

हमीरपुर–मंडी फर्स्ट स्टेज में 1500 मीटर सड़क पीक्यूसी से निर्मित हो रही है।  कोट–दरोगण–टौणी देवी–झनिक्कर में  अत्याधुनिक कंक्रीट कार्य चल रहा है।नेशनल हाईवे नंबर-03 (हमीरपुर–मंडी) के फर्स्ट स्टेज में सड़क निर्माण की गुणवत्ता को नई ऊंचाई देने के उद्देश्य से पेवमेंट क्वालिटी कंक्रीट (PQC) तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। अणु चौक से पाड़छु तक लगभग 40 किलोमीटर लंबे इस चरण में करीब 1500 मीटर सड़क का निर्माण पीक्यूसी तकनीक से किया जा रहा है। यह कार्य कोट, दरोगण, टौणी देवी और झनिक्कर क्षेत्रों में प्रगति पर है।

इस तकनीक के तहत सड़क का निर्माण दो मजबूत कंक्रीट परतों में किया जा रहा है। डाउन लेयर में 200 मिलीमीटर मोटी कंक्रीट परत और इसके ऊपर 300 मिलीमीटर मोटी ऊपरी कंक्रीट परत डाली जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार यह संरचना सड़क को अत्यधिक भार वहन करने में सक्षम बनाती है और वर्षा जल के कारण होने वाले कटाव, गड्ढों और टूट-फूट की संभावना को लगभग समाप्त कर देती है।

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हाइवे इंजीनियर अंकित सिंह ने बताया कि पीक्यूसी तकनीक पारंपरिक बिटुमिनस सड़कों की तुलना में कहीं अधिक टिकाऊ और दीर्घकालिक समाधान है। उन्होंने कहा, “PQC सड़कें फ्लेक्सुरल स्ट्रेंथ के आधार पर डिजाइन की जाती हैं, जिससे भारी ट्रैफिक और जलभराव के बावजूद सड़क की मजबूती बनी रहती है। दोहरी कंक्रीट लेयर के कारण पानी का प्रभाव सड़क संरचना पर नहीं पड़ता, जिससे इसकी उम्र कई गुना बढ़ जाती है।”

इंजीनियर अंकित सिंह के अनुसार, इस तकनीक से बनी सड़कें न केवल कम रखरखाव मांगती हैं, बल्कि लंबे समय तक समतल और सुरक्षित ड्राइविंग अनुभव भी देती हैं। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में, जहां बारिश और जल निकासी बड़ी चुनौती होती है, वहां पीक्यूसी तकनीक बेहद कारगर सिद्ध होती है।

उन्होंने यह भी बताया कि पीक्यूसी सड़क निर्माण में गुणवत्ता नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कंक्रीट की मजबूती, मोटाई, क्योरिंग और जॉइंट्स की नियमित जांच की जा रही है ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की संरचनात्मक समस्या न आए।

स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि यह प्रयोग सफल रहता है तो भविष्य में पूरे एनएच-03 और अन्य महत्वपूर्ण मार्गों पर भी पीक्यूसी तकनीक को अपनाया जा सकता है। इससे न केवल सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि बार-बार मरम्मत पर होने वाला सरकारी खर्च भी बचेगा।


इन्फो बॉक्स

एनएच-03 पर पीक्यूसी सड़क निर्माण – प्रमुख बिंदु

  • परियोजना: एनएच-03 हमीरपुर–मंडी (फर्स्ट स्टेज)
  • कुल लंबाई: लगभग 40 किलोमीटर
  • PQC सड़क की लंबाई: करीब 1500 मीटर
  • क्षेत्र: कोट, दरोगण, टौणी देवी, झनिक्कर
  • डाउन लेयर: 200 मिमी कंक्रीट
  • ऊपरी लेयर: 300 मिमी कंक्रीट
  • मुख्य लाभ:
    • पानी से सड़क टूटने की संभावना लगभग शून्य
    • भारी ट्रैफिक में भी उच्च मजबूती
    • कम रखरखाव, लंबी उम्र
    • बेहतर ड्राइविंग सुरक्षा

विशेषज्ञ राय:
“PQC तकनीक पहाड़ी और अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए सबसे भरोसेमंद विकल्प है।”
— अंकित सिंह, हाइवे इंजीनियर

 

 

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