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टौणी देवी में प्रांतीय सरकार जमीन पर निर्माण को लेकर गरमाई बहस, राजस्व विभाग ने शुरू की व्यापक जांच, कई दुकानों पर गिर सकती है गाज 

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टौणी देवी में  प्रांतीय सरकार जमीन पर निर्माण को लेकर गरमाई बहस, राजस्व विभाग ने शुरू की व्यापक जांच, कई दुकानों पर गिर सकती है गाज 

रजनीश शर्मा। हमीरपुर 

हमीरपुर जिला के टौणी देवी कस्बे में प्रांतीय सरकार की मालिकाना जमीन पर कथित निर्माण कार्य इन दिनों बड़ा मुद्दा बन गया है। शिकायतकर्ता की शिकायत के आधार पर राजस्व विभाग ने एक व्यक्ति के खिलाफ मिसल तैयार कर ली है, लेकिन अब विभाग पूरे कस्बे में उन सभी दुकानों और निर्माणों की जांच करने जा रहा है जिन पर सरकारी भूमि पर निर्माण का संदेह है। इससे क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है। कई वर्षों से काबिज दुकानदारों का कहना है कि बेशक जमीन प्रांतीय सरकार है लेकिन कागजों में उनका मालिकाना हक दर्ज है। इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी।

क्या कहता है कानून?

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में प्रांतीय सरकार की मालिकाना जमीन पर किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य करना अवैध है, चाहे उस पर वर्षों पुराना कब्जा हो या न हो। इसका कारण यह है कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को किसी भी स्थिति में कानूनी मान्यता नहीं मिलती।

हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

  • हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भूमि राजस्व अधिनियम की धारा 163-ए को असंवैधानिक घोषित किया था।
  • यह धारा सरकार को सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों को नियमित करने का अधिकार देती थी।
  • कोर्ट ने कहा कि यह प्रावधान अतिक्रमणकारियों को पुरस्कृत करता है और कानून तोड़ने वालों को संरक्षण देता है, जो संविधान के खिलाफ है।

सरकारी जमीन पर निर्माण क्यों नहीं कर सकते?

  • अतिक्रमण को कानूनी मान्यता नहीं: सुप्रीम कोर्ट के अनुसार सरकारी भूमि पर कब्जा करने से कोई व्यक्ति उसका मालिक नहीं बन सकता।
  • निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध: सरकारी भूमि पर बिना वैध पट्टे या लीज़ के किसी भी तरह का निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित है।
  • अवैध निर्माण पर कार्रवाई: संबंधित विभाग किसी भी समय कब्जा हटाने सहित कड़ी कार्रवाई कर सकता है।

क्या कहते हैं कानूनी सलाहकार?

कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक—

  • यदि किसी व्यक्ति के पास वैध लीज, पट्टा या सरकारी अनुमति है, तभी निर्माण संभव है।
  • अन्यथा निर्माण करना स्पष्ट रूप से अवैध माना जाएगा और इससे न केवल निर्माण गिराया जा सकता है बल्कि कब्जाधारी पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
  • भूमि के अंतरन या उपयोग से जुड़े मामलों में हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1972 धारा 118 भी लागू हो सकती है, जिसके लिए विशेष सरकारी अनुमति अनिवार्य है।

अब आगे क्या?

राजस्व विभाग ने संकेत दिए हैं कि टौणी देवी कस्बे की सभी ऐसी दुकानों व निर्माणों की व्यापक जांच होगी जो प्रांतीय सरकार की भूमि पर होने की संभावना रखते हैं।
इस कार्रवाई से कई लोगों में बेचैनी है, वहीं कानून जानकारों का मानना है कि यह पहल सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है।

 

 

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