

नेहरू जयंती विशेष : “हिमालय से प्रेरणा लेने अक्सर हिमाचल आते थे पंडित जवाहरलाल नेहरू”
रजनीश शर्मा। हमीरपुर
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि प्रकृति के अद्वितीय प्रेमी, संवेदनशील विचारक और हिमालय की गोद में शांति खोजने वाले एक सृजनधर्मी व्यक्तित्व थे। उनके जीवन में हिमाचल प्रदेश—विशेषकर मनाली और शिमला—का गहरा महत्व रहा। पहाड़ों के साथ उनका यह लगाव आत्मीय था । नेहरू जयंती के अवसर पर उनके हिमालय-प्रेम के इन अनछुए पहलुओं को याद करना बेहद जरूरी है।
मनाली से नेहरू का आत्मिक संबंध

नेहरू कुंड: एक साधारण झरने से बनी ऐतिहासिक पहचान
1958 में मनाली दौरे के दौरान पंडित नेहरू व्यास नदी के तट पर एक प्राकृतिक झरने के पास पहुंचे। झरने का पानी इतना शुद्ध, ठंडा और ताज़गीभरा था कि नेहरू ने वहीं खड़े होकर पानी पिया। यह स्वाद उन्हें इतना भाया कि बाद में वे दिल्ली में भी इसी कुंड का पानी मंगवाने लगे।
इसी घटना की याद में उस स्थान का नाम “नेहरू कुंड” रखा गया—जो आज मनाली आने वाले हर पर्यटक के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण है।
मनाली: चिंतन, शांति और विचारों की प्रयोगशाला
हिमालय की गोद में बसे मनाली की वादियाँ नेहरू के लिए केवल विश्राम स्थल नहीं थीं, बल्कि राष्ट्र-निर्माण पर चिंतन का केंद्र भी थीं। माना जाता है कि भारत और चीन के बीच ‘पंचशील सिद्धांत’ की नींव भी मनाली के शांत वातावरण में ही पड़ी।
बर्फ से ढकी चोटियाँ, बहती व्यास नदी और प्राकृतिक नीरवता उनके भीतर की थकान को मिटा देती थीं। वे कहा करते थे—
“हिमालय की शांति मनुष्य को भीतर से बदल देती है।”

प्रकृति से भावनात्मक लगाव
नेहरू की लेखनी में भी हिमालय की छाया साफ झलकती है। उनके मुताबिक, प्रकृति का हर दृश्य—नदी, पर्वत और हवा—मनुष्य की आत्मा को नया रूप देता है। मनाली का परिवेश उन्हें अपने आत्मिक स्वरूप के और करीब ले आता था।
शिमला: हिमालयी संस्कृति की धड़कन
हालाँकि शिमला से जुड़े बहुत कम प्रत्यक्ष उल्लेख मिलते हैं, फिर भी यह मानना गलत नहीं होगा कि हिमालय प्रेमी नेहरू को शिमला जैसे शांत, सुहावने और ऐतिहासिक नगर से अवश्य ही आत्मिक लगाव रहा होगा।
ब्रिटिश काल से लेकर स्वतंत्र भारत तक शिमला प्रशासनिक गतिविधियों और सांस्कृतिक हलचलों का केंद्र रहा—और पहाड़ों के प्रति नेहरू के प्रेम को देखते हुए यह क्षेत्र भी निस्संदेह उनका प्रिय रहा होगा।
हिमालय—नेहरू के विचारों की प्रेरणा
नेहरू कहते थे कि पहाड़ उन्हें धैर्य, सादगी और आत्मबल की सीख देते हैं।
हिमाचल प्रदेश की जलवायु और शांत वातावरण उनके व्यक्तित्व में गहराई और चिंतनशीलता लाते थे।
उनके विचारों में हिमालय की यह झलक साफ मिलती है—
- शांति और सहअस्तित्व का संदेश
- मानवता और प्रकृति के संतुलन की समझ
- सरल जीवन की ओर झुकाव
हिमालय उनके लिए केवल भौगोलिक संरचना नहीं, बल्कि जीवन-दर्शन था।
नेहरू और हिमाचल—भावनाओं का अनंत रिश्ता
नेहरू जयंती पर जब हम उनके योगदान को याद करते हैं, तो उनके हिमालय-प्रेम को याद करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
हिमाचल के मनाली, शिमला और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों ने न केवल उन्हें विश्राम दिया, बल्कि राष्ट्र-निर्माण के विचारों को भी नई दिशा दी।
नेहरू कुंड आज भी उनकी यादों को जीवित रखता है—जहाँ एक प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि एक प्रकृति-प्रेमी मनुष्य ने हिमालय की गोद में सुकून पाया था।
उनका यह प्रकृति-प्रेम आने वाली पीढ़ियों को भी संदेश देता है—
कि विकास के साथ-साथ प्रकृति का सम्मान करना ही सच्ची प्रगति है


Author: Polkhol News Himachal









