

बाल मजदूरी समाज के लिए अभिशाप : शांतनु
पोल खोल न्यूज। हमीरपुर
बच्चे किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी पूँजी होते हैं। यही कारण है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था— “आज के बच्चे कल के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री होंगे।” लेकिन विडंबना यह है कि देवभूमि हिमाचल में भी बाल मजदूरी का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि समाज के लिए एक गहरी मानवीय विडंबना भी है।
1 सितंबर 2016 को लागू हुए बाल श्रम कानून के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी प्रकार के व्यवसाय या प्रक्रियाओं में नियोजित करना दंडनीय अपराध है। इसके बावजूद व्यापार, ढाबों, दुकानों और घरेलू कामों में नाबालिग बच्चों से काम लेना आम बात बनती जा रही है। सरकार बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने के गंभीर प्रयास कर रही है, लेकिन सामाजिक कुरीतियाँ और जागरूकता की कमी बड़ी बाधा बनी हुई हैं।
शांतनु का कहना है कि यूनिसेफ की रिपोर्ट “द स्टेट ऑफ़ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रेन 2006” के अनुसार भारत में विश्व के सबसे अधिक बाल श्रमिक हैं। खासकर 14 वर्ष से कम आयु के लड़के और 12 से 15 वर्ष की लड़कियाँ घरेलू नौकरों के रूप में सबसे अधिक इस्तेमाल होती हैं। कानून बनने के बावजूद 13 करोड़ से अधिक बाल श्रमिकों के चेहरे पर खुशी नहीं दिखती, क्योंकि उनके पुनर्वास और शिक्षा के लिए समग्र व्यवस्था अभी भी अधूरी है।
समाज में लंबे समय से यह गलत सोच घर कर चुकी है कि घर में जितने अधिक हाथ होंगे, उतनी ही अधिक कमाई होगी। यही मानसिकता बच्चों के भविष्य पर पहरा बन जाती है। शांतनु का मानना है कि केवल कानून बनाने से बदलाव नहीं आएगा; सामाजिक जागरूकता और संवेदनशीलता अनिवार्य है। लोगों को स्वयं आगे आकर यह संकल्प लेना होगा कि वे किसी भी रूप में बाल मजदूरी को बढ़ावा नहीं देंगे।
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उन्होंने सुझाव दिया कि टास्क फोर्स और श्रम विभाग को संयुक्त अभियान चलाकर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे समाज में भय का वातावरण बने और बाल मजदूरी पर प्रभावी रोक लगे। इस कार्य में एनजीओ और सामाजिक संगठनों की सहभागिता भी बेहद महत्वपूर्ण है।
शांतनु पिछले कई वर्षों से बाल मजदूरी के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। वे इन बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए लगातार प्रयासरत हैं और समय-समय पर नोटबुक, पेंसिल, जूते, गर्म कपड़े और अन्य आवश्यक सामग्री वितरित करते रहते हैं। उनका मानना है कि बाल श्रम समाप्त करने का एकमात्र और सबसे प्रभावी उपाय शिक्षा का प्रसार है। जब हर बच्चा स्कूल जाएगा, तभी भारत वास्तव में प्रगति करेगा।
अंत में शांतनु ने अपील की “हम सब मिलकर संकल्प लें कि हमारे समाज में ‘बाल मजदूर’ जैसी कोई संज्ञा न रहे। बच्चों का बचपन छीनना सबसे बड़ा पाप है। आइए मिलकर उन्हें उनका अधिकार, उनका भविष्य और उनकी मुस्कान लौटाएँ।”


Author: Polkhol News Himachal









