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प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के तहत दिए हजारों ऋण अब बैंकों के लिए बने परेशानी

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प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के तहत दिए हजारों ऋण अब बैंकों के लिए बने परेशानी

पोल खोल न्यूज़ | शिमला

प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के तहत हिमाचल प्रदेश में स्वरोजगार के लिए दिए गए हजारों ऋण अब बैंकों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। राज्य में करीब 23 हजार से अधिक बैंक खाते एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट) की श्रेणी में पहुंच गए हैं। इन खातों में बैंकों के कुल 315.83 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं, जिन्हें वसूली की राह देखनी पड़ रही है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तहत युवाओं, महिलाओं और छोटे उद्यमियों को बिना किसी गारंटी के अधिकतम 20 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसका उद्देश्य स्वरोजगार को बढ़ावा देना और छोटे व्यवसायों को वित्तीय सहायता देना है। योजना के तहत ऋण तीन श्रेणियों शिशु, किशोर और तरुण में दिया जाता है।

आठ अप्रैल 2015 से शुरू हुई इस योजना में अब तक 1.63 लाख से अधिक लाभार्थियों को मुद्रा लोन वितरित किया गया है। इनमें सबसे अधिक लाभार्थी 13,046 किशोर वर्ग के हैं, जिन्हें पांच लाख रुपये तक का ऋण मिला। इसके अलावा शिशु वर्ग में छोटे व्यवसायियों को 50 हजार रुपये तक की सहायता दी गई, जबकि तरुण वर्ग के अंतर्गत 10 लाख रुपये से अधिक राशि के ऋण स्वीकृत किए गए। इसके अलावा तरुण प्लस के तहत 20 लाख रुपये के ऋण दिए गए हैं। प्रदेशभर में बैंकों द्वारा समीक्षा के दौरान सामने आया है कि इन ऋण खातों में से करीब 23 हजार खाते ऋण चुकाने में असमर्थ रहे, जिससे वे एनपीए की श्रेणी में चले गए हैं। ऐसे खातों में बैंकों के 315.83 करोड़ रुपये फंस गए हैं, जिनकी वसूली अब कठिन होती जा रही है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि कोरोना काल में व्यवसाय ठप पड़ने, बाजार की मंदी और स्वरोजगार परियोजनाओं की असफलता के कारण कई उधारकर्ता किस्तें नहीं चुका पाए। वहीं, कुछ मामलों में ऋण की राशि को गलत उद्देश्य से उपयोग किए जाने के भी उदाहरण सामने आए हैं।

 

बैंकों ने अब ऐसे खातों की वसूली प्रक्रिया तेज कर दी है। जिला स्तर पर विशेष रिकवरी कैंप आयोजित किए जा रहे हैं। बैंक शाखाओं को निर्देश दिए गए हैं कि वह बकायेदारों से संपर्क कर ऋण पुनर्गठन अथवा सेटलमेंट स्कीम के तहत समाधान निकालें। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में मुद्रा लोन योजना का उद्देश्य छोटे उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनाना था, लेकिन कई लोगों ने इस योजना का दुरुपयोग किया। अब बैंक एनपीए खातों की जांच और वसूली पर फोकस कर रहे हैं।

राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई है और सभी बैंकों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट के आधार पर केंद्र को स्थिति से अवगत कराया जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि योजना के तहत आगे ऋण वितरण में जोखिम प्रबंधन कैसे सुदृढ़ किया जा सकता है।

 

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