

सराहकड़ में 9 नवंबर को होने वाला ‘महिला सम्मान समारोह’—महज कार्यक्रम या हिमाचल की राजनीति का नया टर्निंग पॉइंट?
रजनीश शर्मा। हमीरपुर

हिमाचल की राजनीति में ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जो बातें अब तक अफवाहों में थीं, अब वो जमीन पर उतरती दिख रही हैं। भाजपा में अंदरखाते चल रही गहमागहमी और पुराने कांग्रेसियों की एंट्री से पैदा हुए समीकरण अब खुले तौर पर दिखने लगे हैं। सुजानपुर के सराहकड़ में सर्वकल्याणकारी ट्रस्ट के बैनर तले 9 नवंबर को आयोजित कार्यक्रम ने इस सियासी उथल-पुथल को और तेज कर दिया है।
ट्रस्ट के चेयरमैन सुजानपुर के पूर्व विधायक के बेटे अभिषेक राणा हैं, लेकिन इसके संरक्षक के तौर पर राजेंद्र राणा की भूमिका किसी से छिपी नहीं है—वो राणा, जो भाजपा से शुरू होकर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष पद तक पहुंचे और अब फिर भाजपा के प्रदेश वरिष्ठ प्रवक्ता के रूप में सक्रिय हैं। इस बार उन्होंने उस जयराम ठाकुर को मुख्यातिथि बुलाया है, जो मंडी में हाल ही में अनुराग ठाकुर के नाम पर तिलमिला गए बताए जाते हैं।
यहीं से सियासी पहाड़ों में भूचाल की शुरुआत मानी जा रही है।

भाजपा में ‘सी’ फैक्टर का शोर… वही कांग्रेसिया शेर जिन्होंने भाजपा घर में आकर मार दिया दांव!
प्रदेश भाजपा जिन छह कांग्रेसियों को साथ लाकर सत्ता वापसी का फार्मूला बना रही थी, वही अब पार्टी को भीतर से झकझोरते दिख रहे हैं। पार्टी में यह चर्चा गहरे तक पैठ चुकी है कि “कांग्रेसिया ब्रिगेड” ने पहले तो भाजपा के एक बड़े कैडर को किनारे लगाया, और अब नेतृत्व पर भी कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा कार्यकर्ताओं में कानाफूसी यह—
“हर्ष महाजन पर नड्डा का आशीर्वाद, और हर्ष का आशीर्वाद अपने पुराने कांग्रेसी भाइयों पर… तो फिर असली भाजपा कहां?”
इस बीच सराहकड़ में जयराम ठाकुर की एंट्री और अनुराग ठाकुर की गैर-मौजूदगी ने यह संदेश हवा में फैला दिया है कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में अनुराग ठाकुर को साइडलाइन करने का खेल शुरू हो चुका है, और कार्यक्रम इसके लिए परफेक्ट बैटिंग पिच बन गया है।
कुछ इसे भाजपा नेतृत्व के भीतर की नई “पावर स्ट्रगल” बता रहे हैं, तो कुछ इसे भाजपा (सी) – भाजपा (अनुराग) की अदृश्य लड़ाई का खुला मैदान।
**सुजानपुर—अनुराग का घर, कार्यक्रम वहीं… और नाम ही गायब!
यही असली सवाल: हटाया गया या बहाना बनाया गया?**
इस कार्यक्रम को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि—
क्या अनुराग ठाकुर ने खुद हटना चुना, या उन्हें कार्यक्रम की लिस्ट से ही बाहर कर दिया गया?
क्योंकि इसी ट्रस्ट ने पहले सुजानपुर में सैनिक सम्मान समारोह करवाया था, जिसमें अनुराग ठाकुर मौजूद रहे थे। अचानक इस बार उनके नाम का न होना, और कार्यक्रम में जयराम ठाकुर का मुख्यातिथि बनकर आना, पूरे सियासी माहौल को गरमा रहा है।
भाजपा खेमे में चर्चाएं तेज—
“अनुराग के संसदीय क्षेत्र में ही राजनीतिक मेहमान—weird coincidence या calculated move?”
पिछले समारोह की घटना भी पृष्ठभूमि में अहम—अनुराग के जाते ही 80% भीड़ उठ गई थी
पिछले कार्यक्रम में अनुराग ठाकुर भाषण देकर किसी मीटिंग के चलते जल्दी लौट गए थे। लेकिन इसके बाद पंडाल में मौजूद करीब 80% लोग भी उठकर चले गए थे। यह घटना सुजानपुर के स्थानीय असर और राजनीतिक समीकरणों का बड़ा संकेत मानी गई थी।
अब जब वही ट्रस्ट कार्यक्रम कर रहा है और अनुराग अनुपस्थित हैं, तो पुराने घटनाक्रमों को नए नजरिए से देखा जा रहा है।
**निष्कर्ष—
सराहकड़ का मंच, महिला सम्मान का बहाना… और असली खेल सत्ता समीकरणों का?**
यह कार्यक्रम जहां महिलाओं को सम्मानित करने के उद्देश्य से रखा गया है, वहीं इसके राजनीतिक मायने हिमाचल प्रदेश में भाजपा की आंतरिक राजनीति को नई दिशा दे सकते हैं।
एक तरफ पार्टी के भीतर कांग्रेसी पृष्ठभूमि वाले नेताओं के बढ़ते प्रभाव की चर्चा है, दूसरी ओर अनुराग ठाकुर की लगातार बढ़ती दूरी सवाल खड़े कर रही है।
भाजपा कार्यकर्ताओं में फुसफुसाहट—
“कहीं संस्था के नाम पर हो रहा ‘सर्वकल्याण’ भाजपा का ही सर्व-विघातक न बन जाए?”


Author: Polkhol News Himachal









