

बड़सर की राजनीति में नया समीकरण : बलदेव शर्मा के बाद इंद्रदत्त लखनपाल की एंट्री से कांग्रेस की जमीं खिसकी, भाजपा में बढ़ा जोश
रजनीश शर्मा । हमीरपुर

हमीरपुर जिला की बड़सर विधानसभा सीट पर राजनीतिक माहौल एक बार फिर बदलता नजर आ रहा है। लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले बड़सर में अब समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। पूर्व विधायक बलदेव शर्मा के दौर में जहां भाजपा ने बड़सर में मजबूत आधार तैयार किया, वहीं पिछले कुछ वर्षों में इंद्र दत्त लखनपाल के नेतृत्व में कांग्रेस ने यहां अपनी पकड़ बनाई थी। लेकिन अब लखनपाल के भाजपा में शामिल होने से राजनीतिक संतुलन पूरी तरह से बदल गया है।
🔸 कांग्रेस की कमजोर होती पकड़
बड़सर में कांग्रेस की स्थिति फिलहाल संभली नहीं दिख रही। पार्टी के कई पुराने कार्यकर्ता इंद्र दत्त लखनपाल के भाजपा में जाने से असमंजस की स्थिति में हैं। लखनपाल न केवल दो बार के विधायक रहे, बल्कि उन्होंने अपने कार्यकाल में सड़कों, शिक्षा और स्वास्थ्य ढांचे में उल्लेखनीय सुधार किए। उनके व्यक्तिगत जनसंपर्क और क्षेत्र में पकड़ ने उन्हें एक लोकप्रिय चेहरा बनाया।
लेकिन भाजपा में उनके शामिल होते ही कांग्रेस संगठन में खालीपन साफ झलकने लगा है। अब कांग्रेस के पास बड़सर में कोई मजबूत और सर्वमान्य चेहरा नहीं है जो जनता के बीच समान प्रभाव बना सके।
🔸 भाजपा को मिला “डबल फायदा”
भाजपा के लिए इंद्र दत्त लखनपाल का शामिल होना किसी राजनीतिक वरदान से कम नहीं है। पहले से ही बलदेव शर्मा के कार्यकाल में तैयार हुई भाजपा की जमीं को अब लखनपाल के जनाधार ने और मजबूती दी है।
स्थानीय कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ है और बड़सर में भाजपा की संभावनाएं पहले से कहीं अधिक मजबूत नजर आ रही हैं। खास बात यह है कि लखनपाल का प्रशासनिक अनुभव और जनता से सीधा जुड़ाव पार्टी को जमीनी स्तर पर और संगठित कर सकता है।
🔸 बड़सर में अब “सीधा मुकाबला” नहीं
पहले जहां बड़सर में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहता था, वहीं अब हालात उलट गए हैं। कांग्रेस के भीतर गुटबाजी, कमजोर संगठन और नेतृत्व की कमी साफ दिखाई दे रही है।
दूसरी ओर भाजपा एकजुट होकर लखनपाल के अनुभव का लाभ उठाने में जुटी है। इससे भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में बड़सर का रण बेहद दिलचस्प हो गया है।
🔸 जनता की नजर “काम और चेहरों” पर
बड़सर की जनता अब भावनाओं से ज्यादा काम और स्थिर नेतृत्व चाहती है। बलदेव शर्मा और इंद्र दत्त लखनपाल — दोनों ने अपने समय में विकास के कार्यों पर ध्यान दिया। लेकिन अब जब ये दोनों नेता एक ही दल में हैं, तो जनता की उम्मीदें भी दोगुनी हैं।
कांग्रेस के पास अब संगठन को पुनर्गठित करने और नया चेहरा सामने लाने की चुनौती है, वरना बड़सर का भविष्य भाजपा के खाते में पूरी तरह दर्ज हो सकता है।


Author: Polkhol News Himachal









