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देवभूमि की आपदाओं ने जगाई चेतना, देवी हिडिम्बा के आदेश पर जुटेंगे आराध्य देवता

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देवभूमि की आपदाओं ने जगाई चेतना, देवी हिडिम्बा के आदेश पर जुटेंगे आराध्य देवता

पोल खोल न्यूज़ । कुल्लू

पिछले दो वर्षों में हिमाचल प्रदेश ने विनाशकारी आपदाओं का सामना किया है। वहीं, वर्ष 2023 और 2024 में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से प्रदेश में जन-धन की भारी हानि हुई। इसी पृष्ठभूमि में इस बार की देव संसद को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। देव समाज के लोगों का कहना है कि यह देवताओं की चेतावनी है। आराध्य देवी-देवताओं को भी आने वाले समय में कुछ अशुभ संकेत दिखाई दे रहे हैं, इसलिए देवी हिडिम्बा ने नग्गर में बड़ी देव संसद आयोजित करने का आदेश दिया है ताकि सामूहिक प्रार्थना और निर्णय के माध्यम से इस संकट को टाला जा सके।

बता दें कि देव संसद का आयोजन शुक्रवार सुबह नग्गर जगती के प्रांगण में शुरू होगा। इसमें कुल्लू घाटी के साथ-साथ मंडी जिला के देवी-देवता भी प्रतीकात्मक रूप से भाग लेंगे। मंडी की प्रसिद्ध स्नोर वैली से महर्षि पराशर के साथ अन्य आराध्य देवताओं को बड़ी जगती में शामिल होने का निमंत्रण भेजा गया है। महर्षि पराशर के निशान- चादर और पुष्प माला के रूप में देवलू नग्गर पहुंचेंगे। देव संसद में कुल्लू राजवंश से आने वाले रघुनाथ जी के छड़ीबदार महेश्वर सिंह की ओर से सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक एकता के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंच बनने जा रहा है।

 

देव संसद की शक्ति और ऐतिहासिक महत्व

देव संसद हिमाचल की प्राचीन देव परंपरा का सबसे शक्तिशाली रूप मानी जाती है। इसमें देव समाज से जुड़े विषयों, पर्यावरण, मानव आचरण और धार्मिक मर्यादाओं पर चर्चा होती है। इतिहास गवाह है कि देव संसद के निर्णयों का प्रभाव इतना गहरा होता है कि बड़े सरकारी और निजी प्रोजेक्ट तक रुक जाते हैं। इसका एक उदाहरण मनाली के पलचान-गुलाबा क्षेत्र में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय स्की विलेज है, जिसे देव समाज के विरोध के कारण कंपनी को रद्द करना पड़ा था। यह देव संसद लोक समाज में आस्था की सर्वोच्च संस्था मानी जाती है, जहां निर्णय “देववाणी” के माध्यम से लिए जाते हैं और इन्हें सभी देव समाजों द्वारा स्वीकार किया जाता है।

देवी हिडिम्बा-कुल्लू की आराध्य और राजवंश की दादी मां

देवी हिडिम्बा का संबंध कुल्लू और मंडी दोनों जिलों की आस्था से जुड़ा है। मान्यता है कि महाभारत काल में कुंती पुत्र भीम ने अज्ञातवास के दौरान हिडिम्बा से गंधर्व विवाह किया था। देवी हिडिम्बा बाद में शक्ति स्वरूपा के रूप में पूजित हुईं। कुल्लू राजवंश उन्हें अपनी “दादी मां” के रूप में मानता है और हर शुभ कार्य में उनका आशीर्वाद लेना आवश्यक समझा जाता है। देव समाज में यह विश्वास किया जाता है कि जब देवी हिडिम्बा किसी विषय पर निर्णय देती हैं, तो वह देव वाणी के समान माना जाता है।

आस्था और चेतावनी का संगम

इस बार की देव संसद केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति श्रद्धा और संतुलन का संदेश भी है। आपदाओं के बाद देव समाज यह मानता है कि इंसान के अतिक्रमण और पर्यावरण के दोहन से देवता अप्रसन्न हैं। देव संसद में इस विषय पर गहन मंथन होगा और आगामी समय के लिए देव समाज कुछ महत्वपूर्ण निर्णय ले सकता है। लोगों की उम्मीदें इस देव बैठक से जुड़ी हैं कि इससे प्रदेश में शांति, संतुलन और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।

 

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