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नई दिल्ली पहुंचे सुक्खू, सीतारमण और पनगढ़िया से करेंगे मुलाकात

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नई दिल्ली पहुंचे सुक्खू, सीतारमण और पनगढ़िया से करेंगे मुलाकात

पोल खोल न्यूज़ | शिमला

हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू मंगलवार शाम नई दिल्ली पहुंच गए। वह बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया से मुलाकात कर सकते हैं। इन मुलाकातों को राज्य की वित्तीय स्थिति के लिहाज से अहम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री का मुख्य एजेंडा राज्य के लिए ऋण सीमा बढ़ाने, जीएसटी व्यवस्था के कारण हो रहे राजस्व नुकसान की भरपाई और वित्तीय सहायता से जुड़े मुद्दों पर केंद्र का ध्यान आकर्षित करना होगा।

यदि केंद्र सरकार हिमाचल की ऋण सीमा बढ़ाने और जीएसटी से हुए नुकसान की भरपाई के लिए कोई राहत देती है, तो इससे राज्य को राहत मिलेगी और कई लंबित योजनाओं को गति मिल सकेगी। मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को बताएंगे कि हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्य के लिए जीएसटी प्रणाली के लागू होने के बाद वित्तीय नुकसान हुआ है। पहले राज्य को अपने करों के माध्यम से जो आय प्राप्त होती थी, वह अब केंद्र के हिस्से में चली गई है। इससे प्रदेश के राजस्व स्रोत सीमित हो गए हैं। राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों में कई विकासात्मक और सामाजिक कल्याण योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन सीमित वित्तीय संसाधनों के कारण इन योजनाओं को आगे बढ़ाने में कठिनाई हो रही है।

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बता दें कि मुख्यमंत्री केंद्र से यह भी आग्रह करेंगे कि प्रदेश को ऋण लेने की अतिरिक्त सीमा दी जाए। वर्तमान में वित्तीय अनुशासन की नीति के तहत राज्यों को सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत तक ही ऋण लेने की अनुमति है। हिमाचल सरकार चाहती है कि इस सीमा को अस्थायी रूप से बढ़ाकर कम से कम 4 प्रतिशत किया जाए। मुख्यमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि हिमाचल में सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं की लागत मैदानी राज्यों की तुलना में कई गुना अधिक है। ऐसे में केंद्र को विशेष राज्य के तौर पर हिमाचल की जरूरतों को समझते हुए अतिरिक्त वित्तीय सहायता देनी चाहिए।

 

मुख्यमंत्री अरविंद पनगढ़िया के साथ बैठक में यह मुद्दा भी उठाएंगे कि 16वें वित्त आयोग की सिफारिशों में हिमाचल जैसे पर्वतीय और सीमांत राज्यों की विशिष्ट समस्याओं को प्राथमिकता दी जाए। सरकार का तर्क है कि प्राकृतिक आपदाओं, भौगोलिक चुनौतियों और सीमित औद्योगिक अवसरों को देखते हुए हिमाचल को अधिक केंद्रीय हिस्सेदारी और विशेष अनुदान मिलना चाहिए।

 

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