

बड़सर में सियासी हिलजुल —सीएम सुक्खू के दौरे पर कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने, इंद्र की मौजूदगी , डोगरा के व्यंग्य और ढटवालिया के बचाव ने बढ़ाई हलचल
बड़सर (हमीरपुर) से रजनीश शर्मा की विशेष रिपोर्ट
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के बड़सर दौरे ने जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरा, वहीं सियासी हलकों में नए समीकरणों की चर्चा छेड़ दी। इस दौरे के दौरान मंच पर और मंच से बाहर, कई संकेत ऐसे मिले जिनसे यह स्पष्ट हुआ कि बड़सर की राजनीति फिलहाल अंदरूनी खींचतान और विपक्षी तंजों के बीच झूल रही है।
डोगरा के व्यंग्य वाण बने चर्चा का केंद्र
पूर्व विधायक मंजीत डोगरा ने मुख्यमंत्री सुक्खू के दौरे को लेकर तीखे व्यंग्य किए। उन्होंने अपने अंदाज़ में कहा कि “ बड़सर में एक मौका उन्हें भी मिलना चाहिए , जिस जगह मुख्यमंत्री सुक्खू मिनी सचिवालय का लोकार्पण कर रहे हैं , इस मिनी सचिवालय का विरोध सबसे पहले मैने ही किया था । मुख्यमंत्री जी अब मुझे भी कोई जिम्मेवारी दो। ”

डोगरा के इन शब्दों को भाजपा खेमे ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पर सीधा हमला माना, जबकि स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसे “राजनीतिक हताशा” बताया।
डोगरा का यह व्यंग्य न केवल सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, बल्कि स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं में चर्चा का मुख्य विषय बन गया।
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सुभाष ढटवालिया ने मुख्यमंत्री का किया बचाव
पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष ढटवालिया ने डोगरा के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि “मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जो विकास कार्य बड़सर क्षेत्र में शुरू किए हैं, उनकी तुलना पिछले कार्यकालों से नहीं की जा सकती।” ढटवालिया ने कहा कि “मुख्यमंत्री का बड़सर दौरा जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में एक ठोस कदम है, और जो लोग व्यंग्य कर रहे हैं, वे विकास की राजनीति से दूर जा रहे हैं।” उनकी यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से कांग्रेस के भीतर यह संदेश देने की कोशिश थी कि संगठन एकजुट है और सरकार जनता के हितों के लिए काम कर रही है।
लखनपाल की मौजूदगी ने बढ़ाई राजनीतिक सरगर्मी
भाजपा विधायक इंद्र दत्त लखनपाल की बड़सर में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में नए सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी नेता की कार्यक्रम में उपस्थिति को कुछ लोग “शिष्टाचार” बता रहे हैं, जबकि कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे “नए समीकरणों की शुरुआत” मान रहे हैं।

स्थानीय राजनीति में यह चर्चा जोरों पर है कि बड़सर की राजनीति अब एक बार फिर से सक्रिय मोड़ पर पहुंच गई है, और आने वाले पंचायत व विधानसभा चुनावों से पहले कई चेहरे अपनी स्थिति मज़बूत करने की रणनीति में जुट गए हैं।
राजनीतिक विश्लेषण
बड़सर का यह सियासी घटनाक्रम संकेत देता है कि मुख्यमंत्री सुक्खू का यह दौरा केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी अहम था।
एक ओर कांग्रेस के भीतर पुराने नेताओं और नए चेहरों के बीच समीकरण बनते-बिगड़ते दिखे, वहीं भाजपा खेमे में भी रणनीतिक चहल-पहल तेज़ हो गई है।

डोगरा के व्यंग्य, ढटवालिया की सफाई और लखनपाल की उपस्थिति — तीनों ने मिलकर बड़सर को एक बार फिर हिमाचल की राजनीति का केंद्र बना दिया है।
कुल मिलाकर बड़सर दौरे ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले महीनों में हिमाचल की सियासत और तेज़ होगी। मुख्यमंत्री सुक्खू के भाषण से जहां कांग्रेस को ऊर्जा मिली, वहीं भाजपा ने इस मौके को “जनभावना की नब्ज़” समझने का संकेत दिया है। अब देखना यह होगा कि सुक्खू सरकार इस दौरे के वादों को कितनी जल्दी धरातल पर उतार पाती है — और विपक्ष किस तरह इस मौके का राजनीतिक लाभ उठाता है।






Author: Polkhol News Himachal









