

Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री माता की करें पूजा
पोल खोल न्यूज डेस्क | हमीरपुर
22 सितंबर, सोमवार से शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो चुका है। आज नवरात्रि का पहला दिन है और इस दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है। घट स्थापना के बाद माता की पूजा और व्रत कथा का पाठ करने का विधान होता है।
मां शैलपुत्री का ऐसा है स्वरूप
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है, जिनका स्वरूप बेहद शांत, सुशील, सरल और दया से पूर्ण होता है। माता के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प शोभायमान है। ये माता रानी के अद्भुत और शक्ति से भरे स्वरूप का प्रतीक होता है। शैलपुत्री माता की सवारी वृषभ होने के कारण उन्हें वृषभारूढ़ा भी कहा जाता है। उनका तपस्वी रूप बहुत ही प्रेरणादायक नजर आता है। माता ने घोर तपस्या की, जो समस्त जीवों की रक्षिका हैं। नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा और व्रत करने से माता विशेष रूप से कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं। कोई भी विपत्ति पड़ने पर मां शैलपुत्री भक्तों की रक्षा करती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं। मां शैलपुत्री साधक के मूलाधार चक्र को जागृत करने में भी सहायता करती हैं। यह चक्र हमारे शरीर का ऐसा ऊर्जा केंद्र है दो हमें स्थिरता, सुरक्षा और मानसिक शांति दिलाता है।
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि
- माता की पूजन विधि का वर्णन भागवत पुराण में भी मिलता है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री मां की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठें क्योंकि उनकी पूजा का आरंभ ब्रह्म मुहूर्त में होता है।
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शुद्ध व साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद, एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध कर लें।
- अब मां शैलपुत्री प्रतिमा या मूर्ति चौकी पर स्थापित करें और पूरे परिवार के साथ विधि-पूर्वक कलश की स्थापना कर लें। इसके बाद, मां शैलपुत्री के ध्यान मंत्र का उच्चारण करें।
‘ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः, वंदे वाञ्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्, वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्, या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः’ मंत्र का जाप करें। साथ ही, नवरात्रि व्रत का संकल्प भी लें।
- नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा षोड्शोपचार विधि से करनी चाहिए। इसमें सभी दिशाओं, तीर्थों और नदियों का आह्वान करने का विधान होता है।
- इसके बाद, मां को सफेद, पीले या लाल रंग के ताजे पुष्प अर्पित करें और कुमकुम का तिलक लगाएं। फिर, माता शैलपुत्री के सामने धूप-दीपक जलाएं और पांच देसी घी के दीये भी अवश्य प्रज्वलित करें।
- अब मां शैलपुत्री की आरती उतारें। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जातक पर माता की विशेष कृपा बनी रहती है।
आरती के बाद मां शैलपुत्री की कथा, दुर्गा स्तुति, दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। साथ ही, पूरे परिवार के साथ ‘जय माता दी’ के जयकारे जरूर लगाएं।
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मां शैलपुत्री को लगाएं इन चीजों का भोग
पूजा और कथा का पाठ करने के बाद मां शैलपुत्री को विशेष रूप से सफेद रंग की सामग्री अर्पित की जाती है। उनकी पूजा में सफेद रंग का खास महत्व होता है, जिसे शांति और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में माता की पूजा के बाद उन्हें सफेद रंग की मिठाई, खीर, खाजा, सफेद लड्डू आदि भोग में लगाएं। इसके अलावा, आप दूध, दही आदि भी चढ़ा सकते हैं। शाम के समय भी माता की पूजा और आरती करनी चाहिए।

Author: Polkhol News Himachal









