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एनपीए को आधार बना केसीसी बैंक के निदेशक मंडल पर हुई कार्रवाई, पढ़ें पूरी खबर

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एनपीए को आधार बना केसीसी बैंक के निदेशक मंडल पर हुई कार्रवाई, पढ़ें पूरी खबर

पोल खोल न्यूज़ | धर्मशाला

हिमाचल प्रदेश सरकार ने कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक (केसीसी बैंक) की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (बीओडी) को निलंबित कर दिया है और आगामी निदेशक चुनाव की प्रक्रिया को भी रद्द कर दिया गया है। इस कार्रवाई के पीछे कई कारण बताए गए हैं। लेकिन प्रमुख तौर पर सरकार ने यह फैसला बैंक के बढ़े हुए एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) को आधार बनाकर लिया है। अब बैंक प्रबंधन पर एनपीए को और अधिक घटाने की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।

हालांकि, बीते पांच वर्षों के आंकड़े देखें तो केसीसी बैंक ने एनपीए में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की है। 2021 में एनपीए 30 फीसदी से अधिक था। 2022 में घटकर 29 फीसदी, 2023 में 27 फीसदी, 2024 में 23.45 फीसदी और 2025 में यह घटकर 19.50 फीसदी पर आ गया है। इतना ही नहीं, इस वर्ष बैंक ने 115 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ भी अर्जित किया है, जो इसकी बेहतर वित्तीय स्थिति का संकेत देता है। बैंक की कुल 216 शाखाएं कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, कुल्लू-मनाली और लाहौल-स्पीति जिलों में कार्यरत हैं। इन शाखाओं में करीब 1.17 लाख खाताधारक हैं, जिनमें शहरी के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी शामिल हैं। बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी बेहतरीन सेवाओं के लिए जाना जाता है। बैंक की वित्तीय सेहत में सुधार जरूर हुआ है, लेकिन बीओडी को हटाने के बाद अब बैंक प्रबंधन पर एनपीए को और घटाने का दबाव बढ़ गया है। साथ ही, आने वाले समय में बोर्ड के चुनाव कब और कैसे होंगे, इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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पाया गया है कि नाबार्ड की ओर की गई क्रमिक वैधानिक निरीक्षण रिपोटों के आधार पर बैंक के संचालन में गंभीर अनियमितताएं, अवैधताएं और लापरवाहियां की गई हैं, जो न केवल पूर्व बोर्ड द्वारा बल्कि वर्तमान निर्वाचित एवं नामित बोर्ड सदस्यों द्वारा भी की गई हैं।

वहीं, सूत्रों के अनुसार, बीओडी को भंग करने और चुनाव रद्द करने के पीछे केवल एनपीए ही नहीं, बल्कि राजनीतिक समीकरण भी अहम कारण हैं। हाल ही में हुए जोगिंद्रा केंद्रीय सहकारी बैंक सोलन के निदेशक मंडल चुनाव में बीजेपी ने छह में से चार जोनों में जीत हासिल की है, जबकि सत्ताधारी कांग्रेस को केवल दो सीटों से संतोष करना पड़ा। चौंकाने वाली बात यह रही कि एक मंत्री और एक विधायक के क्षेत्रों में भी कांग्रेस हार गई, जिससे प्रदेश सरकार की किरकिरी हुई। माना जा रहा है कि में ऐसी ही स्थिति से बचने के लिए सरकार ने बोर्ड निर्णय लिया है। हालांकि सरकार ने चुनाव प्रक्रिया को रद्द करने का कारण प्रदेश में खराब मौसम और विभागीय जांच को बताया है।

 

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