

किसी के वेतन में कटौती नहीं होगी, भविष्य में लागू होगा फैसला : सीएम
पोल खोल न्यूज़ | शिमला

हिमाचल प्रदेश सरकार ने पूर्व जयराम सरकार के समय दिए गए उच्च वेतनमान का निर्णय वापस लिया है। लेकिन अब विरोध के बाद सरकार इस फैसले को वापस लेगी। 2022 में जारी अधिसूचना के अनुसार 89 श्रेणियों के विभिन्न कर्मचारियों को दो वर्ष का नियमित कार्यकाल पूर्ण करने पर उच्च वेतनमान दिया गया था। लेकिन माैजदा सरकार ने इसे वापस ले लिया था। सोमवार को अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ, सचिवालय कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारी मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से मिलने पीटरहाॅफ पहुंचे। इसमें कर्मचारी कर्मचारी नेता प्रदीप ठाकुर व और त्रिलोक ठाकुर सहित अन्य शामिल रहे।
वहीं, सीएम सुक्खू ने कर्मचारी नेताओं को आश्वासन दिया है कि इस पर विचार किया जाएगा। कर्मचारी नेताओं ने मुख्यमंत्री को इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया। उन्होंने चर्चा के बाद यह आश्वासन दिया है कि कर्मचारियों के हितों के मद्देनजर पूर्व में जारी अधिसूचना को वापस लिया जाएगा। उच्च वेतनमान वाली अधिसूचना को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके तहत किसी भी कर्मचारी के वेतन में कटौती नहीं होगी। भविष्य में अतिरिक्त इंक्रीमेंट रोकी जाएगी। कहा कि यह फैसला भविष्य में लागू होगा, पहले से तैनात कर्मियों पर नहीं। इसे वापस लिया जाएगा। यह फैसला नई भर्तियों पर लागू होगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आज आदेश जारी किए जाएंगे। इससे पहले कर्मचारी नेता प्रदीप ठाकुर ने कहा कि हर कर्मचारी को इससे 13 से 14 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। मुख्यमंत्री सुक्खू कर्मचारी हितैषी हैं और उन्होंने सत्ता में आते ही ओपीएस लागू की थी। त्रिलोक ठाकुर ने कहा कि इस फैसले से 89 श्रेणियों के कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने जल्द जेसीसी बैठक बुलाने की भी मांग उठाई।

उच्च वेतनमान का निर्णय वापस लेने पर भड़के हैं कर्मचारी
कर्मचारी संगठन सरकार के इस फैसले से भड़क गए हैं। कर्मचारी संगठनों ने इसे आपदा में कर्मचारियों को धोखा करार दिया है। आरोप लगाया है कि सरकार ने न तो कर्मचारियों को डीए दिया, न डीए का एरियर दिया और अब अब उच्च वेतनमान की अधिसूचना भी वापस ले ली है। रविवार को अराजपत्रित कर्मचारी संघ के दोनों धड़ों ने इसे लेकर वर्चुअल बैठक की और सरकार के फैसले के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताई। सीटू राज्य कमेटी ने भी सरकार के इस फैसले को कर्मचारी विरोधी करार दिया है। कर्मचारी संघों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के हजारों कर्मचारियों को मासिक औसतन 15,000 से 20,000 की वित्तीय हानि होगी। कर्मचारी संगठनों ने सरकार के फैसले को अन्यायपूर्ण, अव्यावहारिक और प्राकृतिक न्याय के विपरीत करार दिया है। कर्मचारी संगठनों ने अधिसूचना वापस लेने की मांग को लेकर सोमवार को मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से मुलाकात करने का भी फैसला लिया है। अगर सरकार सकारात्मक आश्वासन नहीं देती तो आंदोलन का भी ऐलान हो सकता है।
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हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ के अध्यक्ष त्रिलोक ठाकुर ने कहा कि कुछ अधिकारी मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं। इसके कारण सरकार कर्मचारी विरोधी निर्णय ले रही है। यह अधिसूचना अगर तुरंत वापस नहीं ली गई तो महासंघ आंदोलन पर उतरने के लिए मजबूर होगा। जब तक निर्णय वापस नहीं होता कलमबंद हड़ताल कर सरकार के फैसले का विरोध किया जाएगा। हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा कि वित्त विभाग की अधिसूचना आपत्तिजनक है। इससे कर्मचारियों के साथ अन्याय होगा और उनका मनोबल गिरेगा। इस निर्णय से असंतोष फैलेगा और वित्तीय नुकसान का के डर से कार्यकुशलता भी प्रभावित होगी। कर्मचारियों का हक हर हाल में दिलवाया जाएगा। सरकार तत्काल अधिसूचना को रद करे। सीटू राज्य कमेटी के अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि सरकार की अधिसूचना कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों पर हमला है। सरकार अपने चहेतों, बड़े अधिकारियों, पुनर्नियुक्ति अधिकारियों, बोर्डों निगमों के नामित निदेशकों पर खजाना लुटा रही है लेकिन कर्मचारियों, मजदूरों, किसानों और आम जनता को आर्थिक सुविधाएं देने के नाम पर आर्थिक संकट का रोना रो रही है।

वहीं, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजय राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार की देनदारियां इतनी हैं कि सरकार की रेलगाड़ी हांफने लगी है। पहले बिना सोचे समझे ओपीएस लागू किया फिर उसमें भी कांट्रैक्ट कर्मी कोर्ट गये तो उस निर्णय को संशोधित किया। ऐसा प्रतीत होता है कि जो जो वादे कांग्रेस ने सत्ता में आने के लिए किए वे सब बिना गुणा-भाग के थे। अब हिमाचल प्रदेश को मंझधार में फंसा कर रख दिया, अब हिमाचल के सभी वर्ग ठगे से महसूस कर रहे हैं जिसमें से कर्मचारी वर्ग तो बहुत ही ठगा गया है। अजय राणा ने कहा अब 3 जनवरी 2022 से सिविल सर्विस के कर्मियों का हायर ग्रेड खत्म करने की घोषणा 6 सितंबर के पत्र से कर दी, जो कि पूरी तरह असहनीय है। कर्मचारी तो इसका विरोध करेंगे ही पर इसके दूरगामी परिणाम भी दिखाई देंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पूर्व भाजपा सरकार के समय दिए गए उच्च वेतनमान का निर्णय वापस ले लिया गया है। वित्त विभाग ने शनिवार को अधिसूचना जारी कर इस लाभ को समाप्त करने का निर्णय लिया है। विभागों को निर्देश दिया गया है कि इन कर्मचारियों का पुनः वेतन निर्धारित किया जाए। इसके परिणामस्वरूप प्रत्येक कर्मचारी को प्रतिमाह 10,000 से 15,000 रुपये का वित्तीय नुकसान होगा।
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राष्ट्रीय राज्य कर्मचारी संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष विपिन डोगरा ने कहा है कि प्रदेश सरकार की ओर से उच्च वेतनमान का निर्णय वापस लेना गलत फैसला है। इससे कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है। इस नियम को हटाना कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और अन्याय है। केंद्र और अन्य राज्यों में कर्मचारियों को समान वेतन लाभ मिल रहे हैं। हिमाचल में यह प्रावधान खत्म करना पूरी तरह भेदभावपूर्ण और तानाशाही फैसला है। पेंशनर महासंघ के प्रदेश महामंत्री बृज लाल शर्मा, राष्ट्रीय राज्य कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय मंत्री चमन कलवान, उपाध्यक्ष गोपाल दत्त ने बताया कि यह निर्णय कर्मचारी विरोधी और तानाशाहीपूर्ण है। महासंघ सरकार से अविलंब निर्णय वापस लेने की मांग करता है। सरकार का यह निर्णय कर्मचारियों में सनसनी फैलाने का है, ताकि वे डीए, एरियर और अन्य भुगतान की मांग का दबाव न डालें।
हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से उच्च वेतनमान की अधिसूतना को वापस लेने से कर्मचारियों में नाराजगी है। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ राज्य प्रधान नरोत्तम वर्मा, महासचिव संजीव ठाकुर, वित्त सचिव सतीश पुंडीर ने संयुक्त बयान में कहा कि रूल-7ए को हटाना कर्मचारियों की मेहनत और उनके भविष्य के साथ बड़ा अन्याय है। जब केंद्र और अन्य राज्यों में कर्मचारियों को समान वेतन लाभ मिल रहे हैं। हिमाचल में यह प्रावधान खत्म करना पूरी तरह भेदभावपूर्ण है। यह कदम कर्मचारियों की वित्तीय प्रगति को रोकने वाला है। संघ इस निर्णय के विरोध करता है। इसके बाद भी यदि सरकार ने अधिसूचना वापस नहीं ली तो आगामी परिणाम के लिए सरकार तैयार रहे।

Author: Polkhol News Himachal


